ठुमरी ” ए री सखी मोरा पिया घर आए “


ए री सखी मोरा पिया घर आए

ए री सखी मोरा पिया घर आए

भाग लगे इस आंगन को

बल बल जाऊं मैं अपने पिया के

चरण लगायो निर्धन को

ऐ री सखी मोरा पिया घर आए —–

मैं तो खड़ी थी आस लगाए

मेहंदी कजरा मांग सजाऐ

देख सुरतिया अपने पिया की

हार गई मैं तन मन को

ऐ री सखी मोरा पिया घर आए—–

जिसका पिया संग बीते सावन

उस दुल्हन की रैन सुहागन

जिस सावन में पिया घर नाहीं

आग लगे उसे सावन को

ए री सखी मोरा पिया घर आए—–

अपने पिया को मैं किस विध पाऊं

लाज की मारी मैं तो डूबी डूबी जाऊं

तुम ही जतन करो ए री सखी री

मैं मन भाऊं साजन को

ए री सखी मोरा पिया घर आए

ए री सखी मोरा पिया घर आए!!

🙏🙏🙏

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